आज के इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हमारी जीवन सैली अस्त व्यस्त हो गई है जिसके कारन एक बड़ी आबादी मधुमेह जैसी जीवन सैली बीमायियों से ग्रसित हो रही है। भारत में 7.2 करोड़ लोग मधुमेह से पीड़ित है और इनमे से 3.6 करोड़ लोगों को मधुमेह का पता ही नहीं होता। और लोग अपने खान पान का ध्यान भी नहीं रखते जिसे मधुमेह या डॉयबिटीज़ का खतरा और भी बढ़ जाता है। आज हम जानेंगे की शुगर में चावल खाना चाहिए या नहीं ?
मधुमेह कैसे होता है ?
जब खून में ग्लूकोस का अस्तर बढ़ जाता है तो इस स्तिथि को मधुमेह या डॉयबिटीज़ कहते हैं। इन्सुलिन एक हार्मोन है जोकि पाचक ग्रंथि द्वारा बनता है। और जब पैंक्रियाज में इन्सुलिन कम पहुंचता है तो ग्लूकोज़ का मात्रा बढ़ने लगता है। शुगर सरीर में पहुंचकर कार्बोहायड्रेट में परिवर्तित हो जाता है और कार्बोहायड्रेट ग्लूकोस में बदलकर खून में पहुँचने लगता है और हमारे सरीर के सभी कोशिकाओं में प्रवाहित हो जाता है। हमारे सरीर की कोशिकायें ग्लूकोज की एनर्जी में बदल देती है और हमारा लिवर और हमारे मांसपेशिओं की कोशकाएँ ग्लूकोज को ग्लीकोजेन में बदलकर स्टोर कर लेती है। जब भोजन से ज्यादा कार्बोहायड्रेट हमारे सरीर में जाने लगता है तो सरीर के अग्न्नासाय में इन्सुलिन नाम का हार्मोन सक्रिय हो जाता है और ग्लूकोज की अतिरिक्त मात्रा को अवसोसित करने लगता है। जब हमारे सरीर में इन्सुलिन कम हो जाता है तो खून में ग्लूकोज जमा होने लगता है और इसी को मधुमेह या डॉयबिटीज़ कहते हैं। इसी बजह से डॉक्टर मधुमेह से पीड़ित मरीजों को चीनी की बानी चीज़ों से परहेज करने की सलाह देते हैं।
ग्लाइसेमिक इंडेक्स :-
यह एक प्रकार का स्केल जिसकी मदत से खाद पदार्थ में कार्बोहायड्रेट की मात्रा और ब्लड में ग्लूकोज़ की मात्रा मापता है। इसकी मदत से मधुमेह से पीड़ित लोग अपना शुगर लेवल को कण्ट्रोल कर सकते हैं और अपने डाइट का चयन भी आसानी से कर सकते हैं।
चावल का ग्लाइसेमिक इंडेक्स:-
चावल हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स( High Glycemic Index) की catigory में आता है। डॉक्टर के अनुसार हर 100 ग्राम चावल में लगभग 345 कैलोरी होती है।
क्या शुगर में चावल खाना चाहिए या नहीं ?
शुगर के मरीजों का अपना खाने पिने का Fixed Schedule होना चाहिए। मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए जयादा देर तक भूखे नहीं रहना चाहिए। अगर हेल्थ एक्सपर्ट्स की मने तो चावल को यदि नियंत्रित मात्रा में लिया जाये तो नुकसान नहीं होगा। चावल हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स की श्रेणी में आता है। जब आप चावल को हरी सब्जी, सलाद और भेजिटेबल सुप के साथ लेते हैं तो सरीर में ग्लाइसेमिक इंडेक्सकी मात्रा को नियंत्रित रखने में मदत मिलती है। आप डॉयबिटीज़ से पीड़ित और चावल खाना चाहते हैं तो आप दिन में एक बार ही चावल खाये और अगर संभव हो सके तो चावल से स्टार्च निकाल कर खाये तो और भी अच्छा होगा।
चावल से स्टार्च कैसे निकालें :-
चावल को उबाले और जब चावल का पानी गाढ़ा हो जाये तो चावल कोप छान कर पानी को फैंक दें। यह चावल का गाढ़ा पानी स्टार्च से भरा रहता है और इसमें कार्बोहायड्रेट की मात्रा भी ज्यादा रहता है। पानी फैंक देने से चावल हल्का हो हो जाता है और डॉयबिटीज़ से पीड़ित लोग बड़े आसानी से चावल च सकते हैं और उन्हें नुकसान भी नहीं होगा।
शुगर में सफ़ेद चावल खाना चाहिए या नहीं ?
हमारे घरो में जयादा तर सफ़ेद चावल ही मिलता है। सफ़ेद चावल दिखने में काफी अच्छा लगता है और लोग इसके प्रति ज्यादा आकर्षित होते है। मगर आपको जानकर हैरानी होगी की सफ़ेद चावल जो आप खाते हैं उन्हें चावल मिलो में पोलिश की जाती है। सफ़ेद चावल को मिल में process करते समय ज्यादा नुट्रिशन बहार निकल जाता है। मीलों में बफिंग की प्रक्रिया में सफ़ेद चावल का अधिकांश फाइबर ख़त्म हो जाता है। हमें इस बात का धयान भी रखना चाहिए की सफ़ेद चावल का ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी ज्यादा होता है। इसका मतलब यह हुआ की डॉयबिटीज़ या मधुमेह से पीड़ित लोगों को सफ़ेद चावल का स्टार्च निकाल कर कम मात्रा में खाना चाहिए।
शुगर में ब्राउन राइस खा सकते है या नहीं ?
ब्राउन राइस का ग्लाइसेमिक इंडेक्स, 50 से 55 के बिच में होता है जो की सफ़ेद चावल के मुकाबले में कम है। ब्राउन राइस पर पोलिश नहीं की जाती। इसमें से केवल भूसी को हटाया जाता है। इसलिए इनमे फाइबर और अन्य फ़यटोकेमिकल्स और कई विटामिन्स जैसे रीबोफ्लैविन , नियासिन आदि प्रचुर मात्रा में होते है। और साथ में इनमे मैग्निसियम, फॉस्फोरस , मैंगनीज़ आदि भी होते हैं। तो ऐसे में डयबिटीज के मरीजों के लिए ब्राउन राइस सफ़ेद चावल के मुकाबले अच्छा ऑप्शन है। और अगर आप ब्राउन राइस से स्टार्च निकल कर खाएंगे तो और भी अच्छा होगा।
क्या शुगर में बासमती चावल खा सकते हैं ?
बासमती चावल का ग्लाइसेमिक इंडेक्स, 50 से 58 के बिच होता है। भारत में बासमती चावल आसानी से उपलब्ध हो जाता है। डॉक्टरों की मने तो शुगर में बासमती चावल कम मात्रा में हरी सब्जी और सलाद के साथ लिया जा सकता है। बासमती चावल में कई पौष्टिक तत्त्व होते हैं। एक मुट्ठी चावल में १ ग्राम डाइट्री फाइबर, 36 ग्राम कार्बोहायड्रेट और 3 ग्राम प्रोटीन होता है। डाइट्री फाइबर के रहने से बासमती चावल बहुत हिन् आसानी से पच जाता है।
मधुमेह के लक्षण
बहुत लोगो को यह पता नहीं होता को वो भी मधुमेह से पीड़ित हैं। मधुमेह को पहचानना बहुत ही आसान है। आप मधुमेह का लैब में अपना खून का सैंपल दे कर पता करवा सकते है या फिर मधुमेह के कुछ लक्षण होते हैं जिन्हे धयान जिया तो आप इसे पहचान सकते हैं। तो आइये जानते हैं मधुमेह के लक्षण :-
- ज्यादा प्यास लगना
- बार बार पेशाब का आना
- आँखों की रौशनी कम होना
- कोई भी चोट या जखम का देरी से सुखना
- हाथों पैरों और गुप्तांगों पर खुजली वाले जख्म होना
- फोड़े- फुन्सी का ज्यादा निकलना
- चिड़चिड़ापन
मधुमेह से बचाव के उपाय :-
- मधुमेह एक लाइफस्टाइल डिजीज है। आप अपनी गड़बड़ जीवन शैली में बदलाव लेकर मधुमेह को नियंत्रित कर सकते हैं।
- नियमित रूप से व्यायाम और योग करें।
- कम कैलोरी वाला भोजन खाएँ।
- ज्यादा हरी सब्जियां, ताजे फल , साबुत अनाज और ओमेगा – 3 वाले श्रोतों को अपने खाने में लाएँ।
- ज़्यादा फाइबर वाले खाना खाएं।
- अपने खाने को दिन भर में छह या सात बार में बिभाजित कर के खायें।
- धूम्रपान या शराब न करें।
- अपने तनाव को कम करें और तनाव कम करने वाले योगा अभ्यासों का सहारा लाएं।
डिसक्लेमर :- यह लेख केवल जानकारी के उदेस्य से लिखी गई है। यह किसी तरह से दवा या उपचार का विकल्प नहीं हो सकता। विशेष जानकारी व उपचार के लिए आप हमेसा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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