chane ka saag :- चने का साग बनाने का सबसे आसान तरीका

Chana saag :- सर्दियों का मौसम सुरु हो चूका है और बाजार में सब्जिओं और सभी प्रकार के साग का भरमार है।  ऐसे में (Chane ka Saag)चने का साग बनाना तो बनता है, क्युकी चने का साग (Saag) स्वाद में लाजबाब और सेहत के लिए फायदेमंद होता है। चने के साग में पोटीन, फाइबर, आयरन, कैल्सियम आदि कई प्रकार के महत्वपूर्ण पोषक तत्व मौजूद होते हैं जो हमारे सरीर की परेशानिया जैसे कब्ज, डॉयबिटीज़, त्वचा सम्बन्धी बीमारियां, आँख से सम्बन्ध्ति बीमारियां और बिभिन्न प्रकार के बिमारियों में लाभप्रद होता है। इतना ही नहीं चने का साग हमारे Immune System को भी मजबूत बनता है और हमारे शरीर को फ्लू, सर्दी – जुकाम, खांसी जैसी तमाम बिमारियों से बचाता है।

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chane ka saag
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chane ka saag :- चने का साग बनाने का सबसे आसान तरीकाजैसा की हम सभी जानते हैं की चने की साग में हरी पत्तियों के साथ डंडियां भी होती है जो आसानी से नहीं गलती और हमारे गले में अटकती है जिससे साग का मजा किरकिरा हो जाता है, मगर परेशान होने की जरूरत नहीं है, हम एक सीक्रेट ट्रिक बताएँगे जिससे चने का साग बिलकुल चिकना और ज्यादा स्वादिस्ट बनेगा, बस शर्त यह है की पुरे प्रोसेस को आप सभी ध्यान से पढ़ेंगे और अमल करेंगे।

आवश्वक सामग्री – Ingredients for Chane ka Saag

  • चने का साग – 250 ग्राम
  • लहसुन की कलियाँ –  8 -10
  • अदरक – 1 इंच
  • हरी मिर्च – 2 -3
  • सरसो का तेल – एक बड़ा चमच
  • नमक – स्वादानुसार
  • हींग – 1 पिंच
  • बथुआ का साग – 250 ग्राम

बनाने की विधि – How to make Chane Ka Saag

  1. सबसे पहले चने के साग की मुलायम पत्तियों को मुलायम डंडियों तक तोड़ लें और सख्त डंडियों को हटा दें।
  2. अब साग को 3 -4  पानी से धो लें ताकि साग में लिपटी मिटी, बालू और अन्य प्रकार की गन्दगी बहार आ जाये।  यह करना अति आवश्यक है।  कई बार साग को अच्छी तरह से साफ़ न काने की बजह से साग किरकिरा लगता है।
  3. साफ़ किये साग को किसी छलनी में या जालीदार बर्तन में रख दें जिससे अतिरिक्त पानी अलग हो जायेगा। अगर आपके पास जालीदार बर्तन नहीं है तो बड़े थाली में साग को निकल कर थाली को थोड़ा तिरछा कर के रख दें।
  4. बथुआ के साग को भी हम इसी तरह से साफ़ कर लेंगे और अतिरिक्त पानी को बहार निकल लेंगे। दोस्तों , secret Trick इसी स्टेप में है। चने के साग में बथुआ के साग को मिलाने से चने का साग अच्छी तरह से पाक जाता है और मुलायम और पहले से ज्यादा स्वादिस्ट बनता है। अगर आपके पास बथुआ का साग उपलब्ध नहीं है तो आप सामान मात्रा में पालक का साग डाल सकते हैं।
  5. चने के साग और बथुआ के साग को बारीक़ काट लें।
  6. प्रेशर कुकर को धीमीं आंच पर गरम होने के लिए गैस पर रख दें।
  7. एक कप पानी डालें। ध्यान रखना है की पानी ज्यादा न डालें।  एक छोटा चमच्च नमक, बारीक़ कटा हुआ 1  इंच अदरक ,1 पिंच हींग ,2 मिर्च जिसे 2 टुकड़ो में तोड़ ले और प्रेशर कुकर में डाल  दें और ढक्कन बंद कर दें।
  8. गैस के फ्लेम को मीडियम कर दे और 4 -5  सिटि आने तक साग को पकने दें और गैस को बंद कर दें।
  9. प्रेशर जब  निकल जाये तो कुकर का ढक्कन हटा दें और कलछी की मदद से पके हुए साग को मिक्स कर दें। यहाँ गैस को फिर से ऑन कर लें और  प्रेशर कुकर में मौजूद अतिरिक्त पानी को कलछी की मदद से चलते हुए सूखा लें। ध्यान देना है की प्रेशर कुकर के ढक्कन को बंद ना करें। कुकर खुली रहेगी एयर हम कलछी की मदद से  साग को चलते हुए अतितिक्त पानी को सूखा लेंगे।
  10. जब पानी सुख जाये तो गैस बंद कर दें और साग को थोड़ा ठंडा होने दें।
  11. 8 -10 लहसुन की कलियाँ और 2 हरी मिर्च को बारीक़ काट लें और साग में मिला देंगे। आप अपने स्वाद के अनुसार लहसुन और हरी मिर्च को ज्यादा और काम कर सकते हैं।
  12. 1 बड़ी चमच सरसो का तेल मिलकर साग में अच्छी तरह से चमच या हाथ के मदद से मिला लें।
  13. स्वादिस्ट और हेअल्थी चने का साग बनकर तैयार है जिसे आप मक्के की रोटी या चावल( चावल बनाने की विधि )के साथ पूरी स्वाद के साथ खा सकते हैं।

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सुझाव:-

साग को अच्छी  तरह से जरूर धो लें।

चने के साग में बथुआ के साग मिलकर बनाने से साग मुलायम और स्वादिस्ट बनता है

चने से साग में पानी ज्यादा न डालें क्युकी चने के साग से खुद ही पानी छूटने लगता है जिसे सूखने में ज्यादा समाया लगता है।

जिन लोगो को कच्चा लहसुन और सरसो तेल का स्वाद पसंद नहीं है वो सरसों तेल को गरम कर के लहसुन का तड़का लगा सकते हैं।

आपके सवाल :-

क्या चना साग सेहत के लिए अच्छा है?

चने के साग सर्दियों में बहुत ही आसानी से मिल जाता है। हरी हरी और पत्तीदार चने के  साग में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, आयरन, कैल्शियम और बिभिन्न विटामिन सहित कई पोषक तत्वों मौजूद रहती हैं। चने के साग का सेवन करने से डॉयबिटीज़ , चर्म रोग , नेत्र रोग, कब्ज और इम्मूयनिटी संबधित ढेरों बिमारिओं में लाभ मिलता है।

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